आ खुुब लड़ी मर्दानी थीं आअमृता बिश्नोई हीं थीं। आ खुुब लड़ी मर्दानी थीं आअमृता बिश्नोई हीं थीं।
वापसी पर वापसी पर
जहां जब जो भी मिल गया, खा पीकर लेकर चल दिया। जहां जब जो भी मिल गया, खा पीकर लेकर चल दिया।
पर समझने वाला कौन वहाँ कभी बैठे, किस्मत को कोसे, कभी फड़फड़ाते, परों को रोके..... पर समझने वाला कौन वहाँ कभी बैठे, किस्मत को कोसे, कभी फड़फड़ाते, परों को रोके.....
तनिक भी न हम घबराएं दे और शान्त मन परीक्षा, सदा ही पढ़ी और सुनी है हम सबने ही ये शिक्ष तनिक भी न हम घबराएं दे और शान्त मन परीक्षा, सदा ही पढ़ी और सुनी है हम सबने ही...
वो जो झील को अपनी दोनों आँखों में रखती है , वो ही तो गुलाबों को अपने दोनों रूख़ वो जो झील को अपनी दोनों आँखों में रखती है , वो ही तो गुलाबों को अप...